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रांची/डेस्क: झारखंड हाई कोर्ट ने एक दिल दहला देने वाले हत्याकांड में बड़ा फैसला सुनाते हुए नितेश साहू की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. नितेश साहू पर अपनी मां, पिता और छोटे भाई की निर्मम हत्या का आरोप था, जिसके लिए रांची की सिविल कोर्ट ने 13 जुलाई 2018 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी.
निचली अदालत ने इस घटना को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट करार देते हुए कहा था कि ऐसा जघन्य अपराध करने वाले को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है. लेकिन अब हाई कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है.
क्या थी पूरी घटना?
यह खौफनाक वारदात 12 जुलाई 2014 की रात घटी थी. नितेश अपने घर पर चुपचाप दूध-भात खा रहा था, तभी उसके 43 वर्षीय पिता शिवनंदन साहू ने किसी बात को लेकर उसकी पिटाई कर दी. इसके बाद पूरा परिवार सोने चला गया. लेकिन नितेश के मन में बदले की आग भड़क उठी. रात में नितेश उठा और पास रखी टांगी से पहले अपने पिता की हत्या कर दी. शोर सुनकर जब सौतेली मां कुंती देवी उठी तो उसने उसे भी बेरहमी से काट डाला. फिर उसने छोटे भाई रघु को भी नहीं छोड़ा और उसकी भी हत्या कर दी. इसके बाद वह अपनी छोटी बहन निक्की को मारने के लिए भी बढ़ा, लेकिन निक्की किसी तरह वहां से भाग निकली और जान बचाने में कामयाब रही.
बहन निक्की बनी इंसाफ की गवाह
अगले दिन निक्की ने ही पुलिस को इस जघन्य अपराध की जानकारी दी और उसकी प्राथमिकी के आधार पर नितेश को गिरफ्तार कर लिया गया. निक्की इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह भी थी.
नितेश का बयान
पुलिस पूछताछ में नितेश ने बताया था कि उसकी मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. सौतेली मां का व्यवहार उसके साथ अच्छा नहीं था और पिता ने पढ़ाई छुड़वाकर उसे काम पर लगा दिया था. पूरे परिवार में सिर्फ निक्की ही उसका साथ देती थी, इसलिए उसने उसकी जान बख्श दी. हत्या के बाद नितेश शहर छोड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने समय रहते उसे दबोच लिया.