प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग के चरही स्थित चिंतपूर्णी प्लांट की 6 नंबर फर्निश गुरुवार रात फिर एक बार धमाके से दहल उठी. रात 9:30 बजे हुआ इतना भीषण विस्फोट कि आसपास के घरों की दीवारें फट गईं, लोग घर से निकलकर सड़कों पर दौड़ पड़े. किसी को लगा भूकंप आया है, किसी को लगा कि बम विस्फोट हुआ है. लेकिन असल में यह उस 'सिस्टम' का नतीजा था जो मजदूरों की जिंदगी को दो कौड़ी का समझता है. पिछले 7 महीने में 7 बार ऐसे ही ब्लास्ट हो चुके हैं, जिनमें दर्जनों मजदुर अब तक घायल हो चुके है और एक की मौत भी हो चुकी है. मगर क्या हुआ? कुछ नहीं! प्रशासन और कंपनी मिलकर मुआवजा देकर मौत का सौदा कर लेते हैं और सिस्टम आंख मूंदे खड़ा रहता है.
गुरुवार के धमाके के बाद प्लांट प्रबंधन ने ताबड़तोड़ गेट बंद कर दिया, किसी को अंदर झांकने तक नहीं दिया गया. न कोई प्रेस बयान, न किसी घायल की खबर. आखिर बार बार ऐसा क्यों हो रहा है? इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है. स्थानीय लोग कहते हैं कि प्लांट में न अग्निशमन यंत्र हैं, न एमरजेंसी अलार्म सिस्टम सिर्फ है तो मुनाफा कमाने की हवस और मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़. सबसे बड़ा सवाल आखिर कब तक ये खिलवाड़ चलता रहेगा. अब जनता का धैर्य जवाब दे रहा है. इस बार तो मजदुर बच गए. पर बार बार ऐसा नहीं होगा . जैसे हालात है उससे तो यही लगता है कि कभी भी यहाँ बड़ा हादसा हो सकता है अगर अगली बार कोई मजदूर मरेगा, तो सिर्फ कंपनी नहीं, प्रशासन भी उसके खून का जिम्मेदार होगा. चिंतपूर्णी प्लांट की सिक्योरिटी की सिस्टम की अवलोकन की जरुरत है . अगर कंपनी के जिम्मेवारी अधिकारी सिक्योरिटी को लेकर लापरवाही बरत रहे है तो उनके ऊपर कार्रवाई करने की जरुरत है. मजदूरों के जान से खिलवाड़ करने जिम्मेदारों को सलाखों के पीछे भेजने की जरुरत है.