लोकतंत्र पर भारी रोजगार! पलायन एनडीए या महागठबंधन किसका बिगाड़ेगा खेल!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025

लोकतंत्र पर भारी रोजगार! पलायन एनडीए या महागठबंधन किसका बिगाड़ेगा खेल!

बिहार में मतदान प्रतिशत कम होने का कारण भी रहा है पलायन

लोकतंत्र पर भारी रोजगार पलायन एनडीए या महागठबंधन किसका बिगाड़ेगा खेल

न्यूज11  भारत

रांची/डेस्क: बिहार में जनता को लुभाने के लिए धुआंधार चुनाव प्रचार जारी है. चाहे एनडीए हो या फिर महागठबंधन, मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े-बड़े दावे और वादे कर रहे हैं. गठबंधनों के घोषणा-पत्रों में रोजगार समेत एक से एक दावे किये जा रहे हैं. इसके लिए बिहार में प्रचार-प्रसार भी धुआंधार जारी है. लेकिन इस बीच एक आयी रिपोर्ट न सिर्फ पार्टियों बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों को  भी सोचने को विवश कर रही है कि आखिर राज्य का चुनाव किस दिशा में जा  रहा है. और कहीं, पिछले चुनावों में वोटों कम प्रतिशत तो इसके लिए जिम्मेदार नहीं है.
 
बिहार विधानसभा चुनाव 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होना तय है. राजनीतिक दलों का प्रचार अभियान चरम पर है. दोनों गठबंधनों के दिग्गज नेताओं का राज्य में आना जाना लगा हुआ है. रैलियां, रोड शो और जनसभाएं धुआंधार जारी हैं. मगर एक बार फिर यह चिंता फिर सताने लगी है कि कहीं इस बार भी बिहार में मतदान का प्रतिशत कम तो नहीं रहेगा? ऐसा इसलिए क्योंकि खेती-बारी और त्यौहारी मौसम खत्म होने के बाद बाहर के राज्यों में रोजगार या मजदूरी करने वाले लोगों का वापस ('पलायन') जाना शुरू हो गया है. जो लोग सक्षम हैं, वे मतदान करने के लिए बिहार भी आ रहे हैं, लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं हैं. क्योंकि रोजी-रोटी का जुगाड़ और परिवार का पेट भरने की चिंता उनके आगे बड़ा प्रश्न हैं, इसलिए उन्हें जहां रोजगार मिल रहा है या मिल सकता है, वहां जाना शुरू कर दिया है. ये लोग मतदान तक बिहार में रुकना नहीं चाहते. क्योंकि इनके लिए चुनाव से ज्यादा बड़ा रोजगार.

पटना, गया, दरभंगा, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और सिवान जिलों से जो खबरें आ रही हैं, उनके अनुसार, हजारों की संख्या में मजदूर दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और मध्य प्रदेश को लौट रहे हैं. जिन गावों के ये निवासी हैं, वहां सन्नाटा पसरने लगा है. छठ पर्व के बाद भी लौटने के लिए ट्रेनों में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है. 

प्रवासी मजदूरों के सामने रोजगार की यह विवशता बिहार की सच्चाई गहराई से उजागर करती हैं. क्योंकि मजदूर भी कह रहा हैं कि वोट देकर क्या होगा? हमारी जिंदगी तो संघर्ष में ही बीतनी है.

बिहार में कम वोट प्रतिशत का यह  भी एक बड़ा कारण?

बिहार में पिछले कुछ समय से अक्टूबर-नवम्बर में ही चुनाव हो रहे हैं. यह वह समय होता है जब बिहार में प्रवासी लोगों की भरमार तो होती है, क्योंकि यह त्यौहारी सीजन होता है. इन्हीं महीनों में दीपावली और छठ महापर्व होते हैं. एक तरह से देखा जाये तो इस दौरान बिहार पूरी तरह से आबाद होता है. लेकिन पांच वर्षों में होने वाले चुनाव की जब शुरुआत होती है तो बिहार खाली होना शुरू हो जाता है, क्योंकि चुनाव तिथियां दीपावली छठ को देखते हुए निर्धारित की जा.ती है. उधर छठ शुरू होता है और रोजगार की तलाश में प्रवासियों का वापस लौटना शुरू हो जाता है. यही कारण है कि बिहार के पिछले चुनावों में वोट प्रतिशत 50 भी नहीं पहुंच पाया है. शायद प्रवासियों के अपने राज्य में रहने की स्थिति में ऐसा नहीं होता है.

क्या कहती है माइग्रेशन से जुड़ी रिपोर्ट

बिहार की माइग्रेशन रिपोर्ट काफी चिंताजनक है. यह हम नहीं, जनरल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की रिपोर्ट कहती है. इस रिपोर्ट की मानें तो बिहार से 55% लोग रोजगार के लिए जाते हैं. 3% लोगों का व्यापार बाहर से ही होता है. 3% छात्र शिक्षा के लिए राज्य से बाहर जाते हैं. माना जाता है कि पंजाब में 6.19% रोजगार की तलाश में जाते हैं. इसीलिए बड़ी संख्या में प्रवासी वर्ग मतदान के दिन अनुपस्थित रहने के कारण ही वे बड़ी संख्या में मतदान नहीं कर पाते हैं. अब जबकि प्रवासी बिहारियों का 'पलायन' फिर शुरू हो गया है. तो क्या यह मान कर चला जाये कि इस बार भी बिहार में मतदान का प्रतिशत कम होने जा रहा है? 

आखिर क्या है, इस समस्या का समाधान?

रोजगार और पलायन की समस्या तो सिर्फ बिहार की ही नहीं, पूरे देश की समस्या है. रोजगार की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य जाना तो बरसों से जारी है. और ऐसा कोई उपाय भी नहीं है जिससे इस समस्या का शत-प्रतिशत समाधान निकाल लिया जाये. रोजगार के अवसर बढ़ाने के बाद भी यह समस्या रहेगी ही. क्योंकि बेहतर रोजगार की तलाश तो हर किसी को रहती है. रोजगार के विकास से भी यह समस्या बनी ही रहेगी. लेकिन जहां तक मतदान का सवाल है, इसका समाधान तो निकाला ही जा सकता है. आधुनिक ही नहीं, एआई युग में इसका समाधान तो निकाला ही जा सकता है. देश में ऑनलाइन वोटिंग की चर्चा तो वर्षों से चल रही है. यह व्यवस्था लागू हो जाने के बाद कोई भी वैध प्रवासी वोटर कहीं से भी वोट डाल पायेगा. लेकिन यह सिस्टम कब लागू होगा इस पर तो कोई भविष्यवाणी करना सम्भव नहीं है. सिर्फ हालात बदलने का इन्तजार ही अब करना होगा

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