प्रशांत/न्यूज़11 भारत
चतरा/डेस्क: जिला के हंटरगंज प्रखंड स्थित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीर्थ व पर्यटन स्थल कौलेश्वरी पर्वत माता कौलेश्वरी के दिव्य दर्शन के साथ-साथ भगवान शिव की आराधना के लिए भी प्रसिद्ध है. कहते हैं कि पर्वत के शिखर पर महाभारत कालीन शिव मंदिर है. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी. दो हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कौलेश्वरी पर्वत के शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए पहाड़ पर एक प्राकृतिक सरोवर बना हुआ है. यहां स्नान कर श्रद्धालु जल लेकर भीगे बदन ही भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. हर सोमवार को कौलेश्वरी पर्वत के शिव मंदिर में विशेष भजन-कीर्तन होता है. रविवार को ही श्रद्धालु यहां पहुंच जाते हैं और रात भर कीर्तन करते हैं. अगले दिन शिव के जलाभिषेक के साथ ही वापस लौटते हैं.
मंडवा मंडई में हुई थी अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की राजा विराट की पुत्री उत्तरा से शादी. कौलेश्वरी पहुंचने के हैं, कई विकल्प चतरा जिला मुख्यालय से कौलेश्वरी पहाड़ पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से आया जा सकता है. वही गया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से 45 किमी, जीटी रोड पर डोभी से 25 किमी दूर है. हंटरगंज मुख्यालय से इसकी दूरी 7 किमी और चतरा से यह 37 किमी दूर है. यहां ऑटो या निजी वाहन से आ सकते हैं. कौलेश्वरी शिव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से पूर्व का भी बताया जाता है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसी मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी. मंदिर से सटे मंडवा मंडई में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की शादी राजा विराट की पुत्री उत्तरा से हुई थी. पहाड़ पर खाली हाथ पहुंचते हैं श्रद्धालु कौलेश्वरी पर्वत के शिव मंदिर में भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं को अपने साथ कुछ भी ले जाने की आवश्यकता नहीं है. मंदिर के इर्द-गिर्द पूजा सामग्री उपलब्ध हो जाती है. श्रद्धालु शिव तालाब में डुबकी लगाकर मंदिर प्रांगण से फूल, बेलपत्र, जल लेते हैं और भगवान शिव को अर्पण करते हैं. भव्य शिवलिंग श्रद्धालुओं को साक्षात दर्शन की अनुभूति कराता है.