न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क:झारखंड के लिए कोयला वरदान है तो अभिशाप भी है. वरदान इसलिए क्योंकि इसकी ऊर्जा से उद्योग-धंधों की धमनियों में दौड़ती है तो देश विकास के पथ पर दौड़ना लगता है. इसी के ही दम पर देश रोशन हो रहा है. इसके साथ अभिशाप भी जुड़ा हुआ है. अभिशाप यह है कि कोयले के खदानों के आसपास जो गरीबी का जाल बिछा हुआ है, उससे यह अनमोल खजाना पेट भरने का बड़ा सहज माध्यम बन गया है, इसी का ही नतीजा है कि इस खजाने यानी कोयले को चुराने का सिलसिला शुरू हो गया जो कि वर्षों से जारी है. लेकिन अब तो कोयला चोरी का तरीका ही बदल गया है, क्योंकि अब कोयले की छोटी-मोटी चोरियां नहीं होतीं. सच कहें तो ये छोटी-मोटी चोरियां अब कोयले की डकैती में बदल गयी हैं. इसका स्याह पक्ष देखना है तो आइये हजारीबाग, वहां दिखेगा कोयले का कैसा-कैसा खेल हो रहा है.
कोयला अब पेट भरने के नहीं, तिजोरी भरने का जरिया
हजारीबाग कोयले की खदानों के लिए देश ही नहीं दुनिया में विख्यात है. लेकिन यहां की खदानें चोरों की कुदृष्टि से नहीं बच गायी है. वर्षों से यहां कोयला चोरी की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन हद तो यह है कि इस पर न तो केन्द्र सरकार, न तो राज्य सरकार और न ही अधिकारी और पुलिस-प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में आज तक कामयाब नहीं हो सके हैं. इन चोरी की घटनाओं से अनगिनत बार खदानों में हादसे भी हुए हैं. हाल में ही एक हादसा हो चुका है, जिसमें कुछ लोग मारे जा चुके हैं. फिर भी यह सिलसिला जो वर्षों से जारी है, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है.
डब्बू सिंह, सत्यप्रकाश और संजू सिंह गिरोह कर रहे बड़े खेल, इनके खरीदार भी बहुत बड़े
हजारीबाग में एक बार फिर कोयला चोर फिर सक्रिय हैं. इन चोरों के कारण वर्षों से राज्य और केन्द्र सरकारों को करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. कोयले की छोटी-मोटी चोरियां तो समझ आती हैं. अब तो गिरोह बनाकर कोयले की चोरियां होने लगी हैं. डब्बू सिंह, सत्यप्रकाश और संजू सिंह गिरोह सक्रिय हैं. ये गिरोह कोयले की छोटी-मोटी चोरियां नहीं करते. इनकी चोरियां काफी बड़ी होती हैं, क्योंकि इनके द्वारा चोरी किये गये कोयले के 'बड़े-बड़े' खरीदार हैं. गिद्दी थाना क्षेत्र के खपिया, रामगढ़ स्पंज और अनंदिता स्टील में ये गिरोह कोयला सप्लाई करते हैं. मानों ये कोई चोरी का काम नहीं कर रहे, बल्कि कोई कम्पनी चला रहे हों.
दूर-दूर तक पहुंचाया जाता है कोयला
इन गिरोहों के 'कोयला सप्लाई' करने का अपना एक तरीका भी है. चोरी का कोयला बड़कागांव के गोंदापुरा, अंबाझरना, मोतरा चपरी, कटकमदाग थाना क्षेत्र के बेस में पहुंचा कर डम्प किया जाता है. फिर वहां से नरसिम्हा प्लांट में 500 से 700 टन कोयला प्रतिदिन पहुंचाया जाता है. यह कोयला बाहर भी भेजा जाता है. जीतेंद्र राणा के बारे में खबर है कि वह उरीमारी से बिहार के डेहरी कोयला भेज रहा है.
चरही के 14-15 माइल में भी कोयला डंप किया जा रहा है. जहां से चिंतपुरनी स्टील को कोयला सप्लाई हो रहा है. नरसिम्हा प्लांट और बता दें कि चिंतपुरनी स्टील के मालिक अनुराग सिंघानिया हैं.
प्रशासन पर उंगली तो उठेगी ही?
अब आप ही सोचिये इतने बड़े पैमाने पर राज्य के कोयले की चोरी हो रही है. क्या हो सकता है कि 'नीचे से ऊपर' तक की मिली भगत के बिना इतना बड़ा खेल हो सकता है? ऐसा भी नहीं है कि किसी को कानोकान खबर भी नहीं होगी? अगर खबर नहीं भी है तो हजारीबाग विधायक प्रदीप प्रसाद और पूर्व सांसद प्रत्याशी अभिषेक कुमार सिंह ने स्थानीय प्रशासन का ध्यान इस ओर खींच चुके हैं. उन्होंने सिर्फ ध्यान ही नहीं खींचा, बल्कि कोयले के काले खेल में स्थानीय प्रशासन के शामिल होने का आरोप भी लगाया है. झारखंड का मॉनसून सत्र भी अब शुरू होने वाला है. विधायक प्रदीप प्रसाद ने वृहद् पैमाने पर चल रहे कोयले के इस खेल के मामले को सदन में उठाने की बात कही है.