प्रशांत/न्यूज़11 भारत
चतरा /डेस्क: झारखंड जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और प्रगतिशीलता के लिए जाना जाता है, आज भी कुछ ऐसी सामाजिक कुप्रथाओं की चपेट में है, जो मानवता को शर्मसार करती हैं. इनमें से एक है अंधविश्वास और डायन-बिसाही, एक ऐसी अमानवीय प्रथा जो विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है. यह प्रथा न केवल अंधविश्वासों और रूढ़ियों पर आधारित है, बल्कि यह लैंगिक असमानता, सामाजिक अन्याय और आर्थिक असुरक्षा का भी प्रतीक है. अंधविश्वास का एक ऐसा ही मामला चतरा जिला के प्रतापपुर से सामने आया है, जहां एक व्यक्ति की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतापपुर थाना क्षेत्र के टंडवा पंचायत अंतर्गत बरवाकोचवा गांव में कैल भारती नामक व्यक्ति की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी गई. इस वारदात के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है. सूत्रों की मानें तो, कैल भारती गांव में ओझा-गुणी का काम कर लोगो को झाड़-फूंक करते थे. शुरुआती आशंका यह जताई जा रही है कि इस जघन्य वारदात के पीछे ओझा-गुनी जैसी कुप्रथा ही मुख्य वजह हो सकती है. जिसने एक बार फिर एक इंसान की जान ले ली. यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त अंधविश्वास की गहरी जड़ों और उसके भयावह परिणामों को फिर से उजागर करती है.
हालांकि, इस मामले में एक चौंकाने वाला नया मोड़ भी आया. मृतक कैल भारती की बेटी रौशनी कुमारी ने अपनी गोतनी पर ही पिता की हत्या का गंभीर आरोप लगाया है. रौशनी ने बताया कि उसकी गोतनी उसे अपने पति के साथ रहने को कहती थी. इसी बात को लेकर पूर्व में उनके बीच लड़ाई भी हुई थी. रौशनी का आरोप है कि उस समय उसकी गोतनी के पिता ने धमकी दी थी कि वह उसके पिता (कैल भारती) की हत्या करवा देगा. यह आरोप न केवल अंधविश्वास बल्कि पारिवारिक कलह और एक सुनियोजित साजिश की ओर भी इशारा करता है. घटना की सूचना मिलते ही प्रतापपुर थाना प्रभारी कासिम अंसारी अपने दल-बल के साथ मौका-ए-वारदात पर पहुंचे. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल चतरा भेज दिया है. थाना प्रभारी कासिम अंसारी ने बताया कि पुलिस इस हत्याकांड से जुड़े हर एक पहलू की बारीकी से जांच कर रही है. चाहे वह अंधविश्वास हो या पारिवारिक रंजिश, हर कड़ी को जोड़कर हत्याकांड का जल्द खुलासा करते हुए आरोपी को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा. यह घटना केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अंधविश्वास के खिलाफ चलाए जा रहे लाखों जागरूकता अभियानों के प्रयासों पर भी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है. क्या इतने बड़े पैमाने पर जागरूकता के बावजूद इस तरह के जघन्य अपराधों का होना समाज और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती नहीं है ?