पंकज कुमार/न्यूज11 भारत
घाघरा/डेस्क: घाघरा थाना छेत्र के नवाडीह में प्रशासनिक उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के बीच घाघरा प्रखंड के नवाडीह गांव के ग्रामीणों ने आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल पेश की है. वर्षों से जर्जर पड़ी बर मोड़ से कुगांव पंचायत सचिवालय को जोड़ने वाली करीब तीन किलोमीटर लंबी सड़क को ग्रामीणों ने अपने श्रमदान और सामूहिक प्रयासों से पुनः आवागमन योग्य बनाने की जिम्मेदारी खुद उठा ली है.
यह वही सड़क है जो वर्ष 2014 से जर्जर स्थिति में थी. बरसात के दिनों में कीचड़, गड्ढों और जलभराव के कारण आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता था. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा, प्रसव और बच्चों के स्कूल जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने सड़क की दुर्दशा की जानकारी कई बार क्षेत्रीय विधायक सह मंत्री चमरा लिंडा और लोहरदगा सांसद सुखदेव भगत को दी. तीन बार रांची जाकर मंत्री से मुलाकात की गई और सांसद को भी लिखित आवेदन दिया गया, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई.
निराश ग्रामीणों ने तय किया कि अब वे खुद ही अपने रास्ते बनाएंगे. गांव के युवा, बुजुर्ग और महिलाएं मिलकर रोजाना सुबह से शाम तक फावड़ा, बेलचा और टोकरी लेकर सड़क समतलीकरण में जुटे हैं. इस अभियान में लाल साहू, सीताराम उरांव, वीरेंद्र उरांव, विजय उरांव, नन्दा उरांव, सबूर उरांव, कैलाश साहू, दीपक उरांव सहित सैकड़ों ग्रामीण प्रतिदिन श्रमदान कर रहे हैं. ग्रामीणों ने आपसी चंदे से पत्थर और मुरुम जैसी सामग्री की व्यवस्था की है.
- नवाडीह के निवासियों का कहना है कि जब शासन और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम हैं, तब जनता को खुद आगे आना होगा. ग्रामीणों का यह प्रयास न केवल आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि जिले के अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गया है.
- बर मोड़ से कुगांव सचिवालय तक की सड़क 2014 से जर्जर स्थिति में थी
- विधायक चमरा लिंडा और सांसद सुखदेव भगत को कई बार दी गई थी जानकारी
- कोई कार्रवाई नहीं होने पर ग्रामीणों ने खुद शुरू किया सड़क निर्माण
- आपसी चंदे से खरीदी जा रही है निर्माण सामग्री
- सैकड़ों ग्रामीण रोजाना श्रमदान में जुटे
- आत्मनिर्भरता की दिशा में मिसाल बना नवाडीह गांव
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