प्रियेश कुमार/न्यूज11 भारत
धनबाद/डेस्क: उदित भास्कर (उगते हुए सूर्य) के अर्घ्य के साथ चार दिनों का छठ महापर्व छठ का का मंगलवार को समापन हो गया. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर और छठी मईया से सुख- समृद्धि व निरोग काया की कामना की गई. छठ घाटों पर बड़ी संख्या में व्रती तथा श्रद्धालुओं का जुटान हुआ. इससे पूर्व सेामवार की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इस दौरान छठ घाटों पर भक्तों की श्रद्धा उमड़ी. हजारों दीपों से पूरा छठ घाट जगमग हो उठा. सड़कों पर रंगोली बनाए गए तो गली मुहल्लों से छठ के गीत गुंजायमान हुए.
मंगलवार की सुबह तीन बजे से ही छठ घाटों पर भीड़ उमड़ने लगी. माथे पर सूप - डलिया लेकर छठ घाट जाते लोग और उनके पीछे- पीछे छठ व्रतियों के साथ महिलाओं का झुंड चल रहा था. इस दौरान महिलाओं की पारंपरिक छठ गीतों ‘ कांच ही बांस के बहंगिया... कि बहंगी लचकत जाए से पूरा माहौल छठमय हो चुका था. छठ घाट पर पहुंचते ही छठ व्रती तालाब और पोखर में कमर तक उतरकर भगवान सूर्यदेव की आराधना की. चहुंओर सूप पर जलते दीए घाटों पर अलौकिक छटा बिखेर रही थी. इस दौरान छठ घाट पर महिलाओं के गाए गीत ‘उगा हे सुरुज देव... भेल भिनसरवा कि अरग के बेरवा हो...’ जैसे गीत गुंजते रहे. सूर्योदय तो 5:52 में हो गया, लेकिय सूर्यदेव के दर्शन 6:15 में हुए. सूर्योदय के साथ ही लोग सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए छठ घाटों पर उमड़ गए. बारी-बारी से सूप पर पूजा का सामान लेकर व्रती पानी में ही सूर्य की आराधना करते हुए घुमती है और लोग दूध से अर्घ्य दिया. इसके बाद घाट पर ही धूप से हवन कर पूजा की समाप्ति का उदघोष किया. अर्घ्य के बाद पारण करके छठ व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन व्रत तोड़ा.
व्रती के वस्त्र से शरीर पोछ की गई निरोग काया की कामना
पानी से निकलने के बाद लोग व्रती के वस्त्र से अपने शरीर को पोछते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शरीर के सारे रोग भगवान भास्कर की कृपा से नष्ट हो जाते हैं. व्रतियों ने घाट पर ही लोगों को प्रसाद के रुपए में ठेकुआ और फल का वितरण किया. विवाहिता व्रती से सिंदूर लेकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लिया. कई व्रती छठ घाट पर ही तो कई वापस घर आकर तुलसी पींडा की पूजा अर्चना के बाद पारण किया.
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