आशिष शास्त्री/न्यूज11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने शंख नदी संगम स्थल, पुंछ चौक शक्ति स्थल, केलाघाघ डैम, और छठ तालाब के सांझी घाट पर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को प्रथम अर्थ अर्पित किया.अर्घदान कर सभी व्रतियों ने अपने परिवार के साथ साथ पुरे समाज के सुख शांति की कामना की. केलाघाघ सरोवर तट पर सूर्य मंदिर के पुरोहित कल्याण मिश्र ने और प्रिंस चौक शक्ति स्थल में आचार्य श्याम सुंदर मिश्र ने मंत्रोच्चार एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते. अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर के साथ अर्घदान करवाया. अर्घदान के पूर्व सभी व्रती जलाशय में उतर भगवान से प्रार्थना करते रहे हे अस्ताचलगामी सूर्यदेव, आपकी हर किरण पूरी धरा को ऊर्जावान बनाने में सक्षम है. बिना आपकी इजाजत धरती तो क्या सौर्यमंडल का कोई भी सदस्य हिल-डुल तक नहीं सकता. आप वक्र हो जाओ तो सात समुंदरों में तूफान आने लगते हैं, पहाड़ खंड-खंड होने लगते हैं. इसलिए हे आदिदेव, हम सब आपकी प्रिय बहन छठ मैया के दिन आपसे कृपा की आकांक्षा लिए याचना करते हैं,कि अपने सामर्थ्य का अंश मात्र हम सब पर भी बरसाओ प्रभू. हमारी अर्घ्य स्वीकार करो.
छठ पर अर्घदान करना आस्था के साथ साथ चिकित्सक लाभ भी प्रदान करता है. अस्ताचलगामी और उदयीमान सूर्य को अर्घ देते से भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हैं तो जल की धारा को पार करती हुई सूर्य की सप्तरंगी किरणें हमारे सिर से पैर तक पड़ती हैं, जो शरीर के सभी भागों को प्रभावित करती हैं. इससे हमें स्वत: ही सूर्य किरणयुक्त जल-चिकित्सा का लाभ मिलता है. बौद्धिक शक्ति में लाभ के साथ नेत्रज्योति, ओज-तेज, निर्णयशक्ति एवं पाचनशक्ति में वृद्धि पायी जाती है व शरीर स्वस्थ रहता है. अर्घ्य जल को पार करके आने वाली किरणें शक्ति व सौंदर्य प्रदायक भी हैं. सूर्य प्रकाश के हरे, बैंगनी और अल्ट्रावायलेट भाग में जीवाणुओं को नष्ट करने की विशेष शक्ति है. प्रात: काल नियमित सूर्य नमस्कार करने से शरीर हष्ट पुष्ट रहता है. सूर्य प्रकाश(धूप) में बैठकर कनेर, दुपहरिया, देवदारू, मैनसिल, केसर और छोटी इलायची मिश्रित जल से नियमित स्नान से पक्षाघात, क्षय, पोलियो, हृदय विकार, हड्डियों की कमजोरी आदि रोग में विशेष लाभ प्राप्त होता है.
व्रती कल सुबह 05:45 बजे से सभी व्रती उदयीमान सूर्य को अर्घदान करने के बाद छठ व्रत का पारण करेगें.
यह भी पढ़ें: धनबाद: छठ पर दिखी प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था, 18 प्रमुख छठ घाटों पर मुस्तैद थे 62 गोताखोर