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रांची/डेस्क: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य की अध्यक्षता में एनएचएआइ मुख्यालय में बैठक आयोजित की गई. बैठक में आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने एनएचएआइ के चेयरमैन संतोष कुमार यादव समेत संबंधित विभाग के वरीय अधिकारियों के समक्ष झारखंड राज्य से संबंधित मुद्दों को रखा. उन्होंने बताया कि गुमला-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-43) से जुड़े विभिन्न गांव के ग्रामीणों ने आयोग के समक्ष अंडरपास नहीं होने से हो रही परेशानी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी.
ग्रमीणों की शिकायत के अनुसार, गुमला-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-43) स्थित बेड़ो, जरिया टोली, सिघवा टोली, जरिया पीपर टोली, नहर टोली व पुराना जरिया टोली के समीप अंडरपास की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें आवागमन करने में काफी परेशानी हो रही है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्ग पर कट नहीं होने के कारण भी उन्हें काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि एनएचएआइ के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि संबंधित ग्रामीण क्षेत्रों में अंडरपास और कट की सुविधा उपलब्ध कराएं, ताकि ग्रामीणों को सामान लाने व ले जाने में सहुलियत हो. ग्रामीणों की सुविधा को देखते हुए संबंधित क्षेत्रों में अंडरपास और कट की सुविधा उपलब्ध कराएं.
बैठक के दौरान रांची-जमशेदपुर, रांची-डालटनगंज, रांची-हजारीबाग राष्ट्रीय राजमार्ग और धनबाद के समीप जीटी रोड की मरम्मत कराने के निर्देश भी दिए गए. डॉ आशा लकड़ा ने बताया कि एनएचएआइ के अध्यक्ष ने जल्द ही संबंधित राष्ट्रीय राजमार्गों व जीटी रोड की मरम्मत कराने की बात कही है. साथ ही गुमला-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग में अंडरपास व कट की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर एक माह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है. बैठक में भारत माला प्रोजेक्ट के तहत गोला-राजरप्पा मार्ग पर अधिग्रृहित जमीन के मुआवजे पर भी चर्चा की गई.
डॉ आशा लकड़ा ने बताया कि गोला क्षेत्र में जिन ग्रामीणों की जमीन ली गई है, उन्हें मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को दो करोड़ 92 लाख 54 हजार रुपये दिया जा चुका है. राज्य सरकार के पास लगभग एक करोड़ 92 लाख 54 हजार रुपये शेष हैं. फिर भी अब तक जिन ग्रामीणों की जमीन अधिगृहित की गई है, उन्हें राज्य सरकार की ओर से मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है. एनएचएआइ के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि राज्य सरकार से बातचीत कर संबंधित ग्रामीणों को जल्द से जल्द मुआवजा राशि का भुगतान करें व गोला-राजरप्पा भारत माला प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करें, ताकि ग्रामीणों को खेती-बारी करने व आवागमन में किसी प्रकार की असुविधा न हो. इसके अलावा बैठक में राष्ट्रीय राजमार्ग के डिवाइडर पर कनैल का पौधा नहीं लगाने का निर्देश दिया गया.
डॉ आशा लकड़ा ने बताया कि कनैल के पेड़ से कीड़े उत्पन्न होते हैं, इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग के डिवाइडर पर कनैल का पौधा लगाने पर रोक लगा दिया गया है. एनएचएआइ के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क के किनारे आम, करंज, पीपल, नीम व बरगद के पौधे लगाएं. बैठक के दौरान एनएचएआइ के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित सभी टोल गेट स्थित यात्री शेड के पास चालकों समेत अन्य राहगीरों के लिए पीने का पानी की सुविधा उपलब्ध कराएं. एनएचएआइ के अधिकारियों ने एनसीएसटी के सदस्यों को आश्वस्त किया कि बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत जल्द ही सभी कार्य पूरे कराए जाएंगे. मौके पर एनसीएसटी के सदस्य, निरूपम चाकमा व जाटोतु हुसैन नायक आयोग के सचिव प्रशांत कुमार सिंह, एनएचएआइ के सचिव, संतोष कुमार यादव, मुख्य प्रबंधक चंदन कुमार सिन्हा, एनएचएआइ के वरीय अधिकारी व एनसीएसटी के अधिकारी उपस्थित थे.
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