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रांची/डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने झारखंड में ओबीसी समुदाय के समर्थन को मजबूत करने के लिए राज्यसभा सांसद आदित्य साहू को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. राज्य की राजनीति में ओबीसी वर्ग का विशेष प्रभाव माना जाता है. इससे पहले यह पद रविंद्र राय के पास था, जो उच्च जाति से आते हैं. वहीं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी कार्यरत हैं.
झारखंड की जनसंख्या में आदिवासी और ओबीसी वर्ग की संख्या प्रमुख है. पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास भी ओबीसी समुदाय से हैं और वैश्य जाति से संबंधित हैं. हालांकि, राजनीतिक विरोधी उन्हें छत्तीसगढ़ निवासी बताकर बाहरी कहकर निशाना बनाते रहे हैं. वहीं, आदित्य साहू झारखंड के मूल निवासी हैं और रांची के ओरमांझी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. आदित्य साहू की साफ-सुथरी और विवादमुक्त छवि के कारण उनका संगठन में और सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव माना जाता है.
आदित्य साहू का राजनीतिक सफर
आदित्य साहू ने अपना राजनीतिक करियर रामटहल चौधरी के सहयोगी के रूप में शुरू किया, जो रांची से कई बार सांसद रहे. वह रामटहल चौधरी के सांसद प्रतिनिधि भी रहे. 1988 से 1990 तक उन्होंने भाजपा के ओरमांझी मंडल अध्यक्ष के तौर पर काम किया. 2002-2003 में रांची ग्रामीण भाजपा के जिला महामंत्री बने. 2012-13 में उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया.
2014 में प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व मिला, और 2019 में वे प्रदेश महामंत्री बने. 2023 में एक बार फिर उन्हें प्रदेश महामंत्री चुना गया. 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पलामू प्रमंडल का प्रभारी बनाया गया था, जबकि 2024 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई. 2024 में वे चतरा लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी भी बने. उनके नेतृत्व में पार्टी को इन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन मिला है.
शैक्षणिक योग्यता और पारिवारिक जीवन
आदित्य साहू रांची विश्वविद्यालय से पीएचडी हैं. उन्होंने वहीं से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के बाद वे रामटहल चौधरी कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे. राजनीति में आदित्य साहू विवादों से दूर रहे हैं और उनकी छवि एक समर्पित और स्थिर नेता की है, जो पार्टी के लिए लाभकारी साबित हो सकती है. उनका परिवार कृषि पर निर्भर है और वे पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री के परिवारिक जीवन में व्यस्त हैं. इस नए संगठनात्मक बदलाव के साथ भाजपा झारखंड में ओबीसी नेतृत्व को मजबूत कर राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ और विस्तार करना चाहती है.
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