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रांची/डेस्कः- बिहार विधानसभा से पहले राजनीतिक माहौल पुरी तरह से गरमा गया है. दरअसल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच ने उम्मीदवारों के हलफनामें का विश्लेषण किया और एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें से कई हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार 1314 में से 1303 उम्मीदवारों के हलफनामों की जांच की गई इनमें से 423 यानी 32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं वहीं 354 उम्मीदवार (27%) पर हत्या, बलात्कार, महिला उत्पीड़न जैसी गंभीर आपराधिक केस हैं.
इन उम्मीदवारों पर सबसे ज्यादा आपराधिक केस?
रिपोर्ट के अनुसार लगभग हर पार्टी मे ऐसे उम्मीदवार हैं जिनपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. आरजेडी के 70 में से 53, बीजेपी के 48 में से 31 कांग्रेस के 23 में से 15, जेडीयू के 57 में से 22 उम्मीदवारों के खिलाफ केस दर्ज है. वहीं सीपीआई व सीपीएम जैसे वामदल में सभी उम्मीदवार किसी न किसी रुप से आपराधिक मामले में संलग्न हैं. ये आंकड़े पार्टियों के छवि पर सवाल तो उठाते ही हैं साथ में इससे ये भी साफ जाहिर होता है कि अब चुनाव लड़ने के लिए साफ सुथरा रिकार्ड होना शायद प्राथमिकता ही रह गई है.
पढ़े-लिखे उम्मीदवार भी नहीं हैं अपराध में पीछे
ADR की रिपोर्ट सिर्फ अपराध तक ही सीमित नहीं है बल्कि उम्मीदवारों की आर्थिक औऱ शैक्षणिक स्थिति का भी खुलासा किया गया है. 1303 में से 519 उम्मीदवार करोड़पति हैं, वहीं, 651 उम्मीदवार (50%) स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि राजनीति में पैसे व पढ़ाई का दबदबा तो बढ़ा है साथ ही नैतिकता व साफ छवि में कमी भी देखी गई है.
ADR क्यों है ये जरूरी?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) एक स्वतंत्र संगठन है, जिसकी स्थापना 1999 में की गई थी. इसका एक ही मकसद है चुनावों में पारदर्शिता लाना और जनता को अपने उम्मीदवारों की सच्ची जानकारी साझा करना. एडीआर के द्वारा कैंडिडेट के हलफनामें का विश्लेषण कर जनता को बताती है, कि कौन अपराधी है, किसके पास कितनी संपत्ति है, कौन कितना पढ़ा लिखा है. यह संगठन लोकतंत्र को मजबूत बनाता है.
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