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रांची/डेस्कः- बिहार में फिलहाल नीतिश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार एनडीए सरकार है. बता दें कि 2024 में नीतिश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी थी. उस दौरान नीतिश कुमार ने कहा था कि स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उसने ऐसा फैसला लिया.
सीएम से इस्तीफा देने के बाद नीतिश ने अपनी चाल बदली और एनडीए का दामन थामा. और बिहार के सीएम के तौर पर 9वीं बार शपथ ली.
आज के परिदृश्य में हम अगर बिहार की स्थिति को देखें तो काफी बदल चुका है. अब बिहार में दो गठबंधनों के बीच लड़ाई है. एक एनडीए दूसरा इंडिया, आइए जानते हैं दोनों की खुवियां और खामियों के बारे में..
NDA की ताकत और कमजोरियां
NDA बिहार में एक मजबूत गठबंधन व स्पश्ट सीट शेयरिंग फॉर्मुले के साथ उतर गई है. इसमें बीजेपी व जेडीयू 101-101 सीटों पर, लोजपा 29 सीटों पर वहीं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा व राष्ट्रीय लोक मोर्चा 6-6 सीटों पर लड़ रही है. इस गठबंधन की सबसे बड़ी खूबी फैलाव वाला जातीय समर्थन व ब्रांड मोदी और नीतिश कुमार की दोहरी सरकार है. जो कि 2015 से बिहार में सत्ता संभाल रहे हैं.
हालांकि नीतिश कुमार कई बार गठबंधन बदल चुके हैं. बावजूद इसके बिहार के लोग बिहार में एक अच्छी सरकार देने वाले नेता के रुप में देखते हैं. वहीं बेरोजगारी, पलायन, खराब सड़के जैसे मुद्दे अभी भी राज्य को कमजोर कर रही है. वहीं नीतिश कुमार का न्याय के साथ विकास का वादा कमजोर दिखता नजर आ रहा है. नीतिश कुमार के बार बार राजनीतिक पलटाव एनडीए की स्थिति को कमजोर कर सकती है.
INDIA ब्लॉक की ताकत और कमजोरियां
INDIA ब्लॉक का नेतृत्व आरजेडी व कांग्रेस के द्वारा की जा रही है. इसमें मुख्य रुप से मुस्लिम व यादव वोटर पर भरोसा जताया जा रहा है. इस गठबंधन में CPI, CPI(M), और CPI(ML) जैसे वामपंथी दल भी शामिल हैं. जिससे संगठन को एक मजबूत आधार मिल सकता है. इस बार गठबंधन का मुख्य उद्देश्य कल्याण योजनाओं से सामाजिक न्याय की दिशा में फोकस करना है. इनके 10-बिंदु वाले घोषणा पत्र में आरक्षण का विस्तार, EBCs को सशक्त बनाना, और हाशिए पर रहे समूहों को शामिल करना शामिल है.
हालांकि इस गठबंधन को अक्सर प्रतिक्रिया शील माना जाता है, इसमें बिहार विकास के लिए साफ व भविष्य उन्मुख दृष्टिकोण पेश करने में कमी देखने को मिलती है. महागठबंधन में एक बड़ी चुनौती आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से जुड़ी भ्रष्टाचार की छवि उनकी फोडर घोटाला में भुमिका, उनकी पत्नी रावड़ी देवी का 1997 में सीएम बनना, तेजस्वी के काम पर छाया डाल देता है. INDIA ब्लॉक ने पिछली विधानसभा चुनाव में एक अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उसकी पकड़ कमजोर पड़ने लगी, क्योंकि एनडीए ने लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 30 सीटें जीत ली थी. अब बिहार में फिर से विधानसभा चुनाव सामने है देखना ये है कि क्या एनडीए का विकास का नारा इंडिया ब्लॉक के सामाजिक न्याय के एजेंडे के सामने टिक पाएगा या नहीं.
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