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रांची/डेस्क: झारखंड के कॉलेजों में अब इंटरमीडिएट की पढ़ाई नहीं होगी. इस फैसले से राज्य के 2 लाख से भी ज्यादा छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ नजर आ रहा है. दरअसल, यह निर्णय नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत लिया गया है, जिसके बाद झारखंड सरकार के हाथ-पांव फूलते नजर आ रहे हैं.
झारखंड राजभवन ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को सूचित कर दिया है कि वे अपने अधीन संचालित सभी डिग्री कॉलेजों को इस वर्ष से इंटरमीडिएट के छात्रों का एडमिशन न लेने का निर्देश दें. यह फैसला नई शिक्षा नीति का ही एक हिस्सा है, जिसे 4 साल पहले ही लागू कर दिया गया था. इसके बावजूद, राज्य सरकार ने अपने यहां कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण आज छात्रों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है.
मुख्यमंत्री ने बनाई मंत्रियों की कमेटी
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आनन-फानन में तीन मंत्रियों की एक कमेटी बनाई है और उन्हें समस्या का समाधान ढूंढने का निर्देश दिया है. इस कमेटी में उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य सोनू, ग्रामीण विकास विभाग की मंत्री दीपिका पांडे सिंह और राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन शामिल हैं. शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा है कि निश्चित तौर पर समस्या गंभीर है, लेकिन सरकार इसके निदान के लिए जुटी हुई है. उन्होंने बताया कि 9 जून को एक महत्वपूर्ण बैठक होगी और उसके बाद राज्यपाल से भी मुलाकात की जाएगी.
सियासत तेज: भाजपा और जेएमएम आमने-सामने
इस मुद्दे पर अब राज्य में सियासत भी छिड़ गई है. भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के किसी फैसले को नहीं मानती. उन्होंने सवाल उठाया कि जब वर्ष 2020 में ही नई शिक्षा नीति लागू हो गई थी, जिसके तहत डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई नहीं होनी थी, तो राज्य सरकार ने पिछले 5 साल में अपने यहां वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की? शाहदेव ने पूछा, "आज जब समस्या सर पर आई है, तो अब समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं. अब राज्य सरकार बताए 2 लाख बच्चों का भविष्य क्या होगा?"
वहीं, जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने भाजपा को करारा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शिक्षा व्यवस्था पर कुछ न ही बोले तो ज्यादा बेहतर है, क्योंकि जो लोग राज्य में सैकड़ों स्कूल बंद कर दिए, आज वह हमें शिक्षा पर ज्ञान दे रहे हैं. पांडे ने कहा कि यह मामला राजनीति का नहीं है, सरकार गंभीर है और छात्रों के भविष्य का सवाल है, तो केंद्र सरकार को भी उदार होना होगा. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने गंभीरता दिखाते हुए छात्रों की समस्या का समाधान करने के लिए तीन मंत्रियों की कमेटी भी बना दी है.
बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल 2 लाख से भी ज्यादा छात्रों के भविष्य का है. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार अधर में लटके छात्रों के भविष्य को कैसे संवारती है.