प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः हजारीबाग में गर्मी का कहर जारी है. स्थिति बेकाबू हो गई है. नौ दिनों तक सूर्य की किरणें सीधे धरती पर गिरकर आग बरसाएंगी. हजारीबाग भी नौतपा से परेशान है. यहां भी अधिकतम तापमान 43 से 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. इस भीषण गर्मी के कारण पदमा के सरैया पाठक टोला में सैकड़ों चमगादड़ों की मौत हो गई है. पदमा राज के समय से ही ये चमगादड़ आशियाना बनाकर रह रहे है.
बताया जा रहा कि बीते 24 घंटे में एक हजार से अधिक चमगादड़ों की मौत हो गई है. स्थिति यह है कि कई चमगादड़ पेड़ पर लटके अवस्था में ही मर चुके हैं. ग्रामीणों की मानें तो दो दिनों मे इनकी मौत की तादाद में काफी इजाफा हुआ है. ज्ञात हो की सरैया चट्टी पाठक टोला अवस्थित पीपल, बरागद, इमली, सेमल, आम के पेड़ो पर सौ वर्षों से अधिक समय से ये रह रहे हैं. कई लोग इनके मांस का सेवन भी करते हैं. वैसे कोरोना संक्रमण के बाद से लोग डर गए हैं. इनके शिकार में काफी कमी आई है.
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विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के बाद पाठक टोला के ग्रामीण पेड़ व आसपास के क्षेत्रों में तापमान को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव कर रहे हैं. युवकों की टोली इन चमगादड़ों को बचाने में जुटी हुई है. जीव विज्ञानी सह पर्यावरणविद डा. मुरारी सिंह कहते हैं कि चमगादड़ों के पंख में नहीं झिल्ली होती है. वे अधिक तापमान नहीं सह पाते हैं. उन स्थानों ब्ले पर चमगादड़ों की मौत हो रही जहां जलस्रोत नहीं है. भीषण गर्मी सहन नहीं कर पा रहे हैं.
झील परिसर स्थित उपायुक्त आवास में भी हजारों ने चमगादड़ रहते हैं, लेकिन उनकी मौत हो रही है, वजह पास में ही जलस्रोत है. गर्मी दूर करने के लिए झील में गोता लगा लेते हैं. इनके शरीर का तापमान कम हो जाता है. उधर, गांव के लोगों ने जिला प्रशासन से इन चमगादड़ों को बचाने की पहल करने की मांग की है. कहा है कि विशेषज्ञों की टीम भेजकर इनकी मौत की जांच कराई जाए. साथ ही इनके बचाव के लिए ठोस कदम उठाया जाए. विशेषज्ञों का मानना है कि चमगादड़ पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में अहम भूमिका अदा करते हैं.