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रांची/डेस्क: आज जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के दयानंद प्रेक्षागृह में कक्षा तीसरी से पाँचवीं के छात्र-छात्राओं द्वारा एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम "क्लेडियोस्कोप" का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुकेश कुमार वित्त निदेशक, मेकॉन लिमिटेड और सोनी वर्मा अध्यक्षा इस्पात महिला समिति ने मुख्य अतिथि के रूप में शोभा बढ़ाई.
कार्यक्रम में संजय कुमार वर्मा मुख्य प्रबंध निदेशक, मेकॉन लिमिटेड सम्मानित अतिथि रश्मि वर्मा के साथ-साथ विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्षा मणि मेखला दास गुप्ता प्राचार्य समरजीत जाना फिरायालाल पब्लिक स्कूल के प्राचार्य नीरज कुमार सिन्हा, डीएवी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य एस के मिश्रा, उप प्राचार्य एस के झा, बी एन झा, संजय कुमार एवं प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विभाग के प्रभाग प्रभारी की गरिमामयी उपस्थिति चार चाँद लगा रही थी.
सभी गणमान्य को बाल पादप वृक्ष (सैपलिंग) देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. तदुपरांत अतिथियों का स्वागत बोध-गीत 'मनसा सततम् वदनीयम् ....' की मनमोहक व सुरमयी प्रस्तुति के साथ हुआ.
"क्लेडियोस्कोप" में दो मुख्य प्रस्तुतियाँ शामिल थीं. पहली प्रस्तुति 'मालगुड़ी डेज' की प्रसिद्ध कहानी 'स्वामी' पर आधारित थी. इस भाव-विभोर कर देने वाली प्रस्तुति में लगभग 25 छात्रों ने भाग लिया.
कहानी के जीवंत मंचन ने बताया कि बचपन अनमोल समय है. इसमें बच्चे कई अनुभवों से गुज़रते हुए सीखते और बड़े होते हैं. यह कहानी स्वामी जैसे आम बच्चे के अनुभवों, उसकी शरारतों, डर, दोस्ती और पारिवारिक संबंधों को स्पष्ट करते हुए बताती है कि पारिस्थितियों में फंसने पर या किसी विशेष क्षण में व्यक्ति अपने डर पर काबू पाकर बहादुरी दिखा सकता है. साहस अक्सर अप्रत्याशित क्षणों में प्रकट होता है.
इसके बाद 'सिम्फनी ऑफ द सोल' नामक एक भावपूर्ण नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की गई. इस नृत्य-नाटिका में 120 छात्रों ने भाग लिया और इसने गुरु-शिष्य परंपरा, संबंधों के महत्व, शिक्षा, वेद, पुराण, इतिहास, साहित्य, दर्शन, देश-प्रेम और जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे विषयों को छुआ. यह प्रस्तुति छात्रों के सर्वांगीण विकास और सर्वोत्तम शिक्षा का परिचायक बनी. नन्हें-मुन्हों की "सिम्फनी ऑफ द सोल" प्रस्तुति हमें एक संतुलित और सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देती है, जहाँ ज्ञान, संबंध, नैतिकता और राष्ट्र प्रेम का सामंजस्य हो. जो हमें सिखाती है कि आत्मा की यह सिम्फनी तभी पूर्ण होती है जब हम जीवन के सभी पहलुओं को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ते हैं.
कार्यक्रम के अंत में, प्राचार्य समरजीत जाना ने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया और छात्रों की प्रस्तुतियों की सराहना की. उन्होंने कहा, "यह कार्यक्रम हमारे छात्रों की प्रतिभा और रचनात्मकता का अद्भुत प्रदर्शन है. शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सर्वांगीण विकास और जीवन के मूल्यों को आत्मसात करने का एक माध्यम भी है."
मुख्य अतिथि मुकेश कुमार ने अपने भाषण में छात्रों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, "आज की प्रस्तुतियों ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया है. यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी हुई है और उन्हें मंच पर इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत कर रही है. ऐसे कार्यक्रम छात्रों में आत्मविश्वास और नेतृत्व के गुणों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं."
कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन छात्रों में तविषा शर्मा और उत्कर्ष सिंह ने किया, जबकि शिक्षकों में शर्मिला मुखर्जी और मृदुला शर्मा ने उनका मार्गदर्शन किया.
इस सफल आयोजन में सुष्मिता मिश्रा, डाॅ मोती प्रसाद, सोनाली प्रसाद, मोनिका डे, सपना दास, शिल्पी सक्सेना, कृष्णकांत मिश्र और विद्यालय के एसआरसी के तीस छात्रों ने सक्रिय भागीदारी निभाकर कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. कार्यक्रम का समापन उप प्राचार्य संजय कुमार के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा हुआ.