उपेन्द्र सिंह/न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः 1965 में भारत-पाक युद्ध की देवी माता गवाह है. इस माता ‘बम वाली’ देवी, मां भी कहते है यह अनुठा मंदिर राजस्थान के जैसलमेर रेगिस्तान के बॉर्डर इलाके में है यहां से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 20 किलोमीटर है. मंदिर को तनोट राय माता मंदिर के नाम से प्रमुख रूप से जाना जाता है.
बीएसएफ की आराध्य हैं तनोट राय माता
1965 के युद्ध के समय बीएसएफ जवानों और अधिकारियों को तनोट माता ने सपने में आकर मन्दिर देख रेख करने का आदेश दिया था और पुरे इलाके में और मंदिर के आसपास रहकर उनकी सुरक्षा करने का वादा भी किया था.
उसके बाद से तनोट माता बीएसएफ की भी आराध्य हैं. बीएसएफ के जवान ही मंदिर की देखरेख और पुरी सुरक्षा करते हैं. उस समय माता का चमत्कार से पाकिस्तान के सेना के हौसलें पस्त हो गए क्योंकि 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में 3000 बम बरसाये गये थे, लेकिन मंदिर परिसर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा बल्कि सारे बम फ्यूज हो कर बेअसर हो गए थे अभी भी यह बम जिंदा है लेकिन माता के चरणो में निष्क्रिय है जिसे बीएसएफ ने सजा कर रखा है.
देवी मां के चमत्कार को देख, झुक कर नतमस्तक गया था पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान
लगभग 450 पाकिस्तानी बम मंदिर परिसर में अभी भी आम लोगों के देखने के लिए रखे गए हैं. बताया जाता है कि ये सभी बम उस समय से आज तक फटे ही नहीं 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर नतमस्तक हो गया.
1965 युद्ध में माता के चरणो में 3000 बम के निष्क्रिय होने के बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान देवी माता के दर्शन के लिये व्याकुल हो गया तनोट राय माता मंदिर के दर्शन के लिए भारत सरकार से आग्रह करते हुए अनुमति मांगी, लेकिन लगभग ढाई साल बाद ही उसे भारत की ओर से दर्शन को अनुमति मिली. इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की प्रतिमा के दर्शन किए और विधिवत पूजा अर्चना करते हुए मंदिर में चांदी का छत्र भी चढ़ाया और गलती के लिये क्षमा प्रार्थना की चांदी का छत्र आज भी मंदिर में ही है. भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में मन्दिर परिसर में विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है.
मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ही करता है.
1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है भारतीय सेनिकों की वीरता की स्मृति का स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता और विशेष अवसर पर यहां श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है.
3000 फेंके गए बमों में एक से भी विस्फोट नहीं हुआ
1965 के युद्ध में, भारतीय सेना के पास संसाधन नही थे जिससे सेना दबाव में थी जबकि विदेशी सहायता से पाकिस्तानी सेना लगातार बम और गोलियां बरसा रही थी पकिस्तान की गोलीबारी का जवाब देने के लिए भारतीय जवानों के पास हथियार का अभाव था. पाक की सेना इसको भांपते हुए रेगिस्तान के साडेवाला चौकी के आसपास किशनगढ़ सहित बड़े इलाके पर कब्जा जमा लिया, इस इलाके में भारतीय सेना काफी संख्या में तैनात थी. इस पर साडेवाला के 13 ग्रेनेडियर्स इस लड़ाई को जारी रखा. 17 नवंबर को तनोट माता मंदिर के पास चौकी पर पाक सेना ने बमबारी और गोलाबारी शुरू कर दी, लेकिन देवी माता का चमत्कार से इस इलाके बरसाये गए सभी बम बेअसर हो गए और 3000 से उपर फेंके गए बमों से एक से भी विस्फोट नहीं हुआ मन्दिर में एक भी खरोंच नहीं आई थी.
मंदिर परिसर के अंदर बीएसएफ चौकी की स्थापना
देवी माता के चमत्कार से भारतीय सेना ने 1965 युद्व में पाकिस्तान को हरा दिया, बीएसएफ ने मंदिर परिसर में एक चौकी की स्थापना कर दी और तबसे देवी तनोट माता की पूजा की जिम्मेदारी बीएसएफ ने अपने ऊपर ले ली मंदिर आज तक बीएसएफ द्वारा संभाला जाता है माता के समक्ष बीएसएफ और आम लोग मनौती भी मांगते है माता सभी की मुरादे पुरी करती है विशेष जागरण और भण्डारा भी यहां होता है.