प्रशांत/न्यूज़11 भारत
चतरा/डेस्क: एक समुदाय विशेष की छात्राओं ने राज्य संपोषित प्लस-टू उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापिका पर जात-पात करने का आरोप लगाया है. एक विशेष समुदाय की छात्राओं ने प्रधानाध्यापिका पर यह आरोप लगाया गया कि उनके द्वारा हिजाब पहनकर आने पर न सिर्फ रोक लगाया गया, बल्कि हिजाब पहनी हुई छात्राओं के साथ बुरी तरह से मारपीट भी की गई. इधर छात्राओं को इलाज के लिए सदर अस्पताल भी ले आया गया. सदर अस्पताल में कुछ छुट भैये नेताओं ने जमकर हंगामा किया. काफी देर तक माहौल को अशांत रखा. अस्पताल में जांच के दौरान छात्राओं के शरीर पर मारपीट के कोई निशान नहीं पाए गए. छात्राओं ने स्कूल में हिन्दू,-मुस्लिम छात्राओं के लिए अलग-अलग सेक्शन रखने का भी आरोप लगाया. मामले की गंभीरता को समझते हुए एसडीओ जहूर आलम सदर अस्पताल पहुंचे. वहां सबसे बातचीत करने के बाद वे विद्यालय पहुंचे.
जांच के क्रम में मारपीट करने, हिन्दू-मुस्लिम का सेक्शन अलग-अलग करने सहित अन्य आरोपी निराधार पाए गए. जबकि हिजाब पहनने के मामले में प्रधानाध्यापिका ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि स्कूल का एक ड्रेस कोड है, यह सबके लिए लागू होता है. उन्होंने बताया कि हमने छात्राओं को हिजाब पहनकर आने से नहीं रोका, बल्कि घर से स्कूल आने के बाद हिजाब को उतार देने की बात कही. उन्होंने कहा कि चूंकि स्कूल में सभी समुदाय की लड़कियां ही पढ़ती है, लड़के तो हैं नहीं. परंतु इनके द्वारा गलत आरोप लगाकर स्कूल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया.
एसडीओ जहूर आलम ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं और ये बच्चों के भविष्य का निर्माण करते हैं. उन्होंने कहा कि विद्यालय के एक एक शिक्षक पर 175 छात्राओं के भविष्य बनाने की जिमनेवारी है. ऐसे में शिक्षा के मंदिर में राजनीति से लोगों को बाज आने को कहा. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की ये लड़कियां हैं, ये अभिभावक और शिक्षक से भी आगे निकल गई है. उन्होंने कहा कि इनसे सतर्क रहने की आवश्यकता है. उन्होंने ड्रेस कोड सहित अन्य मामलों को लेकर वे जल्द स्कूल प्रबंधन समिति के साथ बैठक करने की बात कही.
मोबाइल छीनना बना सारे ड्रॉमे का कारण
हिजाब के नाम पर हंगामा का मुख्य कारण छात्राओं से मोबाइल छीनना बना. दरअसल में जिन छात्राओं ने अपने अभिभावकों को गुमराह कर यह प्रायोजित हंगामा करवाया, उनमें से एक दो को अगर छोड़ दें, तो सबके पास मोबाइल पकड़ा गया था. मोबाइल एक नहीं बल्कि करीब 3 दर्जन था. छात्राओं को फटकार लगाने के बाद एसडीओ ने दुबारा ऐसी गलती नही करने की चेतावनी देकर सबको मोबाइल लौटा दिए.
मेडिकल जांच में नहीं मिले मारपीट के कोई निशान
हिजाब पहनकर आने पर जिन छात्राओं ने शिक्षिका पर मारपीट करने का आरोप लगाने के बाद वे सदर अस्पताल में भर्ती हो गई. क्या सच में उनके साथ इतनी मारपीट की गई थी ?. अगर छात्राओं के साथ मारपीट हुई थी, तो मेडिकल जांच में चोट के एक भी निशान क्यों नही पाए गए. इससे स्पष्ट होता है कि कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा स्कूल को बदनाम करने की साजिश रची गई थी.
डीसी से मारपीट की शिकायत कर सकती थी छात्राएं
जब तह सारी घटनाएं घट रही थी, तब चतरा डीसी कीर्तिश्री उसी विद्यालय में मौजूद थी. तब छात्राओं के साथ-साथ उनके हितैसी बनकर सदर अस्पताल में हंगामा करने वाले लोग वहीं डीसी से शिकायत क्यो नही की. वही जिला शिक्षा पदाधिकारी भी मौजूद थे. परंतु असामाजिक तत्वों की मंशा छात्राओं को न्याय दिलाने का नहीं, बल्कि हिन्दू-मुस्लिम में भेदभाव करने का झूठा आरोप लगाकर पूरे स्कूल और शिक्षक को बदनाम करने की थी. जात-पात के नाम पर शहर में धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश करने वाले लोगों को चिन्हित कर जिला प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. ताकि दुबारा कोई व्यक्ति ऐसा दुःसाहस नही कर सके.